View Mesage

प्रिय बन्धुओं‚ कहतें हैं शिल्पकार और स्वर्णकार दोनों एक ही खानदान से आते है लेकिन बावजूद इसके हमारा समाज इतना पिछड़ा हुआ है कि हमारे समाज की गिनती कहीं भी नहीं आती मैं धन्यवाद करता हँू नन्दकिशोर जी का जिन्होंनें इस बेबसाइट के जरिए अपने समाज को आगे लाने में एवं स्वर्णकार रिश्ते बेवसाइट से जो जोड़ने के लिए जो मुहिम छेड़ी है मैं एवं मेरा परिवार उनका तहे दिल से धन्यवाद करता है और आशा करता हू कि आगे भी इसी तरह आगे बढ़ते रहें।